गांव की नदी में चोदा पड़ोसी की लड़की को। Hindi Sex Stories

गांव की नदी में चोदा पड़ोसी की लड़की को। Hindi Sex Stories

हेलो दोस्तों में आपकी शबनम आज हाज़िर है नाइ सेक्स स्टोरी के साथ जो की आपको राहुल जी बाटेंगे तो शुरू करते है आपका पानी छुड़वाना।

यह देसी कहानी है की कैसे गांव की नदी में चोदा पड़ोसी की लड़की को ये एक दम सच्ची घटना जो मेरे साथ हुई जब में नदी में टेरने गया था और वहां कुछ ऐसा हुआ जो मेरी ज़िन्दगी का सबसे खास लम्हा बन गया।

दोस्तों मेरा नाम राहुल है। मैं राजस्थान के मंडावा का रहने वाला हूँ। अभी कानपूर में रहकर रेलवे के पेपर की तैयारी कर रहा हूँ। मेरे परिवार में हम दो भाई और माता-पिता हैं। मां गृहिणी हैं जबकि पिता किसान हैं। हमारे पास 25 बीघा जमीन है जो नदी के बिल्कुल पास है।

मैं अभी 22 साल का हूँ। मेरी हाइट पांच फुट दस इंच है। मैं अपने शरीर से पूरी तरह मजबूत हूँ। ठीक भी लग रहा है। मेरे लंड की लंबाई साढ़े पांच इंच है लेकिन इसकी मोटाई काफी है।

मैं wildfantasystories का नियमित पाठक हूँ। कई बार मैं उनकी हॉट और देसी चूत चोदने की कहानी पढ़कर अपना लंड हिलाता हूँ। इसलिए मैंने सोचा कि मैं अपने जीवन की एक घटना आप लोगों के साथ साझा करूं। मैं आप लोगों को जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ वो आज से करीब 3 साल पहले की है।

मेरा घर गाँव में पड़ता है जहाँ मेरे घर के पास से एक नदी निकलती है। गर्मी के दिनों में हम अक्सर सुबह शाम नदी में नहाने जाते है। अगर लड़के दोपहर को नदी में नहीं नहाते तो हमारे मोहल्ले की लड़कियां दोपहर में नहा लेती थीं क्योंकि उस समय लड़के नहीं होते थे।

इसी तरह एक दिन मैं घर में बैठे-बैठे बोर हो रहा था तो मैंने नदी में नहाने का विचार किया। दोपहर में जब परिवार के लोग सो रहे थे तो मैं नदी पर नहाने आया।

मुझे नहाते हुए करीब 10 मिनट हुए होंगे कि हमारे पड़ोस की एक स्थानीय लड़की नहाने के लिए वहां आई। उस लड़की का नाम कृतिका है।

वो रंग में गोरी है और उसकी कमर बहुत पतली है। उसके चूचे एक बड़े नारंगी के आकार के थे (अब वे मेरे हाथ में भी नहीं आते, इतने बड़े हो गए हैं, जो मेरे लिए आश्चर्यजनक है) मुझे उसका आकार नहीं पता।(गांव की नदी में चोदा)

जब वो नदी पर आई तो मैं नदी में तैर रहा था। वो नदी पर आ गई और अपने कपड़ों में ही नहाने लगी क्योंकि गांव की स्थानीय लड़कियां सलवार कमीज में ही नदी में नहाती थीं।

पानी में डुबकी लगाकर मुझे तैरता देख उसने मुझसे कहा- मुझे भी तैरना सिखा दो।

मैं उसकी बातों से थोड़ा हैरान हुआ क्योंकि हम दोनों ने इससे पहले इतनी खुलकर कभी बात नहीं की थी और वो भी अकेले। आज से पहले मैंने उसे कभी चुदाई की नज़रों से नहीं देखा था।

उसके कहने पर मैं उसे तैरना सिखाने को राजी हो गया। वो मेरे करीब आई और पानी में गोता लगाने लगी।

मैंने उसे अपने हाथों में पकड़ लिया ताकि वो नीचे न डूबे। मेरे हाथ उसकी कमर पर थे और वो तैरने के लिए हाथ पैर मार रही थी। इस बीच मेरा हाथ उनके सीने पर चला गया तो वो कुछ नहीं बोली।

मेरा हाथ उसके बूब्स को छू रहा था जो एक बड़े संतरे के आकार के थे।

अब मेरे अंदर कामुकता जगने लगी, मैंने इस देसी जवान लड़की को चोदने का मौका देखा, फिर मैं धीरे-धीरे बहाने से जानबूझकर उसके बूब्स को छूने और दबाने की कोशिश करने लगा।

लेकिन वो ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे कुछ हो ही नहीं रहा हो। इसलिए मेरा हौसला भी बढ़ रहा था।

फिर मैंने उसके निप्पलों को अच्छी तरह अपने हाथों में भर लिया, फिर भी वो कुछ नहीं बोली। अब मेरा लंड मेरी अंडरवियर में भर चुका था। लेकिन यह पानी के नीचे था।

मैं पानी के अंदर भी अपने लंड की गर्मी महसूस कर सकता था।

मैंने कृतिका को खड़े होने को कहा तो वो मेरे सामने आ खड़ी हुई। मैं उसको सिखाने के बहाने उसकी गांड को लंड से छूने लगा। मेरा लंड तन कर झटके दे रहा था।

उसकी भीगी हुई गांड में मेरे लंड का छूना हर पल मेरे अंदर हवस को बढ़ा रहा था।

मैं धीरे-धीरे करके उसकी गांड पर अपने लंड को अच्छी तरह से सटाने लगा। लेकिन वो कुछ नहीं बोल रही थी।

कुछ समय तक ऐसा ही चलता रहा। न वो कुछ कह रही थी और न मैं कुछ कह रहा था।

फिर वो मुझे छोड़कर पानी से बाहर जाने लगी। मेरे अंदर तो चुदास भर चुकी थी। मैंने उसे रुकने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया और चली गई।

मेरे मन में डर भी था कि कहीं ये कुछ घर पर जा कर बता ना दे तो मेरी भी गांड फट रही थी।

उसके बाद मैं घर आया और कृतिका के साथ हुई घटना को याद करते हुए मैंने दो बार मुठ मारी ।

उस दिन मैं बस यही सोचता रहा कि किसी तरह मुझे उसकी चूत चोदने को मिल जाए। यह सोचते हुए मैं उस रात सो नहीं सका।  रात को सपने में भी मेरा वीर्यपात हो गया।

अगले दिन रविवार था और हमारे पड़ोस में हमारे घर पर ही टीवी था और रविवार को फिल्म भी चलती थी। अगले दिन वो सुबह करीब 11 बजे हमारे घर टीवी देखने के लिए मेरे घर आ गई।

जब मेरे घरवाले टीवी नहीं देखते थे तो मां और पापा दूसरे कमरे में सो जाते थे।

चूंकि राजस्थान में बहुत गर्मी है, इसलिए मेरे परिवार के सदस्य शाम को तीन बजे के बाद ही उठते थे।

टीवी रूम में उनके और मेरे अलावा कोई नहीं था। बीच-बीच में मैं भी उनके साथ टीवी देख रहा था। कुछ देर बाद मैं यह सुनिश्चित करने के लिए उठा कि माँ और पिताजी सो रहे हैं।

मैंने धीरे से अपने माता-पिता की ओर देखा तो वे दोनों गहरी नींद में सो रहे थे।

उसके बाद मैं उसके एकदम पास बैठ गया और धीरे-धीरे एक हाथ से उसकी कमर पर फिरने लगा।

जब उसने कुछ नहीं कहा तो मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैं अपना हाथ उसकी कमर से उसके निप्पलों तक ले गया। उसने एक बार मेरी ओर देखा और फिर से आगे देखने लगी।

उसे शायद अच्छा लगा। नहीं तो कोई भी लड़की आपको अपने जिस्म को छूने की इजाजत नहीं देती है।

जब मुझे यकीन हो गया कि वो भी चुदाई के लिए तैयार होकर आई है, तो मैंने अपना हाथ उसकी कमीज़ में डाल दिया। उसके निप्पलों को दबाया। तब भी वो कुछ नहीं बोली।

अब तो मुझसे रुका ही नहीं गया। मैंने उसकी सलवार के ऊपर से उसके देसी चूत को छुआ। उसने एक बार के लिए मेरा हाथ हटा दिया। मैं थोड़ा सा हिचक गया कि कहीं मैं जल्दी तो नहीं कर रहा हूँ लेकिन दोस्तो बहुत बुरा हाल हो रहा था।

मैं रुकने वाला नहीं था। मैंने बार-बार कोशिश की जब मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रखा तो मेरा हाथ उसके चूत को छू गया।

मुझे पता चला कि उसने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी। मैं उसकी सलवार के अंदर हाथ डालने की कोशिश करने लगा लेकिन उसने अपनी सलवार का नाड़ा कस कर बांध रखा था, इसलिए मुझे अंदर हाथ डालने में बहुत परेशानी हो रही थी।

बहुत कोशिश के बाद मेरा हाथ उसकी सलवार के अंदर घुस गया। मैंने उसकी चूत को टटोला तो उसकी चूत चुदने के लिए गर्म थी।

उसमें से थोड़ा गीलापन भी निकल रहा था। फिर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। मैंने अपनी उंगली सीधे उसके बिल में डाल दी, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।

अब चुदाई का पूरा माहौल तैयार था। मैंने उसे ऐसे ही बैठे रहने को कहा। मुझे भी डर लग रहा था कि कहीं बीच में मम्मी-पापा जाग न जाएं, तो मैं दोबारा देखने के लिए उनके पास गया। दोनों अभी भी गहरी नींद में थे।

जब मैं वापस आया तो देखा कि उसने अपनी सलवार घुटनों तक नीचे कर रखी थी। मैं उसके पास बैठते ही उसके चूत को सहलाने लगा। मेरा हाथ उसके बिल को रगड़ रहा था।

दूसरे हाथ से मैं उसके बूब्स दबा रहा था।

मेरा लंड अब मेरी पैंट में दर्द करने लगा था। मैंने चेन खोलकर अपना लंड निकाला और उनके हाथ में पकड़ कर अपना लंड उनके हाथ में दे दिया। उसने लंड छोड़ दिया।

मैंने धीरे से कहा कि लंड को हाथ में पकड़ लो लेकिन उसने मना कर दिया।

फिर मैंने जबरदस्ती उसके हाथ को अपने लंड पर रखवा लिया और उसके हाथ को अपने लंड पर रगड़ने लगा।। कुछ देर बाद उसके हाथ का ग्रिप मेरे लंड पर कस गया।

वो खुद ही मेरे लंड को हाथ में पकड़ कर आगे-पीछे चलने लगी। मैं उसे चूमने लगा।

अब बस रुकने वाली नहीं थी और मैंने उसे वहीं सोफे पर लिटा दिया। मैंने अपने हाथ से उसके छेद को रगड़ा और अपना लंड उसके छेद के मुहा पर रख कर उसके ऊपर लेट गया।

जब मेरा लंड उसके देसी बिल में घुसने लगा तो वो दर्द के मारे अपनी गर्दन इधर-उधर पटकने लगी।

उनकी चूत अभी तक कुंवारी थी। मैंने थोड़ा और जोर दिया तो उसकी आंखों से आंसू आने लगे। लेकिन मैं रुकने वाला नहीं था। मैंने एक झटका दिया और लंड को उसके छेद में डाल दिया।

उसने मुझे गले लगाया। उम्म्ह… आह… हाय… ओह… लंड उसकी चूत में चला गया था। नीचे जाकर देखा तो उसके छेद से थोड़ा सा खून भी निकल रहा था।

मैं उसके होठों को चूसने लगा और लंड को उसके छेद में हल्के से चलाने लगा। वो अभी भी तड़प रही थी। लेकिन कुछ देर बाद वो नॉर्मल होती चली गई।

उसकी वर्जिन चूत की पहेली बार चुदाई हो रही थी और उसमें से निकलने वाला खून उसके वीर्य में मिल गया।

इस वजह से खून और पानी के उस मिश्रण के बन जाने से मेरे लंड को अंदर जाने में कोई परेशानी नहीं हुई।

क्योकि मैं भी बहुत एक्साइटेड थी तो मेरे लंड से काफी चिपचिपा पदार्थ भी निकल चुका था। यह दोनों तरफ से समान रूप से चिकना हुआ था और मक्खन की तरह चुदाई चल रही थी।

अब मैं आराम से उसकी चूत चोदने लगा। बीच-बीच में मैं उसकी कमीज उठाकर उसके बूब्स भी सहला रहा था।

मसलने से उसके देसी थन टमाटर जैसे लाल हो गए थे। लंड को छेद में ले जाकर अब उसे भी चुदाई में मज़ा आने लगा।

उसके मुँह से धीरे-धीरे कामुक आवाजें निकल रही थीं और मेरा लंड गप्प गप्प करके उसकी चूत में जा रहा था। उसकी चूत काफी गीली हो गई थी।

मैं दस मिनट तक उसकी चुदाई करता रहा। फिर मैंने उसे उठाया और डॉगी स्टाइल में झुकने को कहा। लेकिन उसने मना कर दिया।(गांव की नदी में चोदा)

उसके बाद मैंने फिर उसे अपने नीचे लिटा लिया और उसकी गांड को इस तरह चोदने लगा।

पाँच मिनट बाद उसने मुझे अपनी बाँहों में कस कर पकड़ना शुरू कर दिया और उसकी गांड मेरे लंड पर कसने लगी। शायद वो उस समय झड़ रही थी।

जब उसका पानी निकला तो चुदाई में पेशाब करने की आवाज आई और कुछ स्ट्रोक के बाद मेरे लंड से भी वीर्य निकल गया।

हम दोनों शांत हो गए। लेकिन मेरा मन अभी भरा नहीं था। मैं उसके ऊपर लेटा रहा और उसके होठों को चूसता रहा। मेरी गांड नंगी थी और मेरे नीचे पड़ी थी।

उसके होठों को चूसते दस मिनट बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया।

जब मैंने दोबारा चोदने को कहा तो वो मना करने लगी। मैंने उसे बहुत मनाने की कोशिश की लेकिन वो नहीं मानी। फिर हम दोनों उठे। लेकिन मेरा लंड अभी भी खड़ा था।

मैंने उसे लंड चूसने को कहा लेकिन उसने भी लंड चूसने से मना कर दिया। फिर मेरा मायूस चेहरा देखकर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और मेरे लंड की मुठ मारने लगी।

उसके कोमल हाथों में जाते ही मेरा लंड फिर से तन गया और मुझे मजा आने लगा। वो मेरे लंड को घिसती रही और मैं उसके बूब्स दबाता रहा। उसे चूमता और काटता रहा।

पांच मिनट बाद फिर से मेरे लंड से वीर्य निकल गया। उसका हाथ मेरे वीर्य से गीला हो गया। मैंने उसे एक गंदा कपड़ा दिया और उसने अपना हाथ साफ किया। फिर मैंने भी अपना लंड पोंछा और पैंट पहन ली।

लेकिन वो कहने लगी की उसकी चूत में अभी भी दर्द हो रहा है। फिर मैं धीरे से उठा और उसके लिए दर्द की गोली ले आया। गोली खाने के बाद वो अपने घर चली गई।

उसके बाद, लगभग हर रोज हम चुदाई के मौके तलाशने लगे। फिर जब भी मौका मिलता मैं उसे चोदता था। आज उस घटना को हुए इतना समय बीत चुका है और वो अब भी मुझसे अपनी चूत मरवाती है।

मैं भी जमकर उसकी चूत चोदता हूँ। मैंने दबा-दबा कर उसके चूचों को काफी बड़ा कर दिया है।मैं भी उसकी जमकर चुदाई करता हूँ। मैंने उसके निप्पलों को दबा कर बहुत बड़ा कर दिया है।

आपको मेरी ये सेक्स कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताए
आपके मेल का इंतज़ार रहेगा

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