wildfantasystories office sex कहानी में पढ़ें कि मैं अपनी सेक्सी सेक्रेटरी के साथ ट्रेन के 1st क्लास केबिन में था. वो मुझसे चुदाने को तैयार थी. मैंने उसे नंगी किया और …
मित्रो, मैं एक बार फिर से फातिमा की कातिल जवानी की चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ.
कहानी के पहले भाग
Moti gaand wali personal secretary ko apni randi banaya part – 1
में अब तक आपने पढ़ा था कि फातिमा मेरे साथ ट्रेन के कूपे में एक झीनी सी नाइटी पहनी हुई मेरी बांहों में थी.
अब आगे wildfantasystories office sex कहानी:
जैसे ही उसने अपना ये नया रूप मेरे सामने पेश किया, वैसे ही मेरे लौड़े ने अपना सर उठाकर उसके कामुक बदन को सलामी देना चालू कर दिया.
आधी नंगी खड़ी फातिमा मेरे पास आयी और उसने मुझे किस करते हुए कहा- कहां खो गए दीपू जी? मैं पसंद आई?
मैंने उसके सवाल का कोई ज़वाब दिए बिना उसके होंठ अपने होंठों के कब्ज़े में ले लिए.
पूरी जीभ उसके मुँह में देकर मैं उसके मुँह की लार चाटने लगा. (Office sex story)
अपने दोनों हाथ फातिमा की नर्म पीठ पर घुमाते हुए मैंने उसे कस कर अपने गले से लगा कर रखा.
फातिमा ने भी उतनी ही शिद्दत से मेरे चुम्बन का उत्तर देते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में देकर रोक दी.
मेरे बालों को अपने मुट्ठी में भर कर वो मेरा सर और भी ज्यादा अपने मुँह में दबाने लगी.
जल्दबाजी करते हुए उसने कुछ ही पल में मेरी पैंट का बेल्ट और बटन खोल कर मेरी पैंट नीचे सरका दी.
मेरे कच्छे में हाथ घुसाकर जैसे ही उसने मेरा लौड़ा पकड़ा, तो ख़ुद ही उसकी सिसकारी निकल गयी.
मैंने भी उसकी पतली नाइटी धीरे धीरे पीछे से ऊपर उठाना चालू कर दिया.
चालीस इंच की गदरायी गांड को सहलाते हुए मैंने उसकी चड्डी नीचे सरका दी.
भरे हुए बदन की औरत को सहलाना कितना कामुक और आवेश भरा होता है, ये तो आप सभी जानते हैं.
जैसे जैसे हमारी वासना की रफ़्तार बढ़ने लगी, वैसे वैसे ट्रेन ने भी मुंबई की तरफ अपनी गति बढ़ा दी. (Office sex story)
एक दूसरे की बांहों में खड़े हम वासना के पंछी अपना सामान भी ठीक से नहीं रख सके थे.
फातिमा की गांड नंगी करके मैं उसको सहला ही रहा था कि तभी हमारे कूपे के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी.
घबराकर फातिमा मुझे देखने लगी, पर तभी मैं उसको उसका बुरका देते हुए पहन लेने का इशारा किया.
मेरी भी खुली हुई पैंट ऊपर करके मैंने उसे अपने कमर पर बांध लिया और दरवाज़े को खोला.
बाहर टीसी साहब हमारे टिकट की जांच करने खड़े थे.
टिकट चैकर साहब के साथ रसोइया भी था.
उसने खाने के बारे में पूछा पर आज मेरा कुछ और ही खाने का मन था.
मगर फातिमा तो बेचारी भूखी थी तो मैंने फातिमा से पूछ कर खाने की आर्डर दे दिया. (Office sex story)
उन दोनों को निबटा कर मैंने अपना बैग खोला और दारू की और पानी की बोतल बाहर निकाली.
तब तक फातिमा ने भी बुरका निकाल कर सामने वाले बर्थ पर फैंक दिया.
मैं समझता था कि शराब तो फातिमा ने कभी पी नहीं होगी क्यूंकि उनके मज़हब में ये सब वर्जित था.
मैंने बोतल हाथ में पकड़ कर उसकी तरफ सिर्फ इशारा किया कि क्या वो पीना चाहती है?
तो उसने गुस्से से मेरी तरफ देखते हुए मना कर दिया.
दारू के साथ कुछ साथ लाए चिप्स का मजा लेना था इसलिए मैंने पहले अपने कपड़े बदल लिए.
एक छोटी सी शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहन कर मैं फातिमा के साथ बात करते हुए दारू का मजा लेने लगा. (Office sex story)
धीरे धीरे दारू का सुरूर मेरे ऊपर छाने लगा तो मैं फातिमा से कहा- एक बार चख़ तो लो जानेमन … मज़ा करना ही है, तो खुलकर करो.
फातिमा ने भी सिर्फ हंसते हुए हामी भर दी.
मैंने मेरा ही गिलास उसके सामने कर दिया.
गिलास पकड़ने की बजाए उसने अपना मुँह आगे किया और अपने गुलाबी होंठ गिलास पर चिपका दिए.
फातिमा को अपने हाथ से मैंने दारू का एक घूंट पिलाया तो उसके हाव-भाव से तो ऐसा लगा कि साली रोज़ पूरी बोतल पी जाती होगी.
ना तो उसको दारू कड़वी लगी और ना ही बदबूदार! (Office sex story)
मैंने फिर से गिलास उसके सामने करके उसके होंठों पर चिपका दिया और देखते देखते पूरा गिलास उसके मुँह में ख़ाली कर दिया.
फातिमा आज पहली बार दारू पी रही थी पर शायद आज उसको अपनी जिंदगी आज पूरी तरह से ख़ुलकर एंजॉय करनी थी.
एक के बाद एक हम दोनों मिल कर दारू के पैग गटकने लगे.
फातिमा की लाल आंखें बताने लगीं कि शराब ने अपना काम बखूबी किया है.
मेरी जांघों पर बैठे बैठे फातिमा कभी मुझे किस करती, तो कभी दारू का घूंट मेरे मुँह में दे देती.
उसके मुँह की झूठी शराब पीने में और उसके गुलाबी होंठ चूसने में मुझे अलग ही मजा आ रहा था.
कुछ देर में ही खाना भी आ गया और हमें पता ही नहीं चला कि कब रात के दस बज गए.
शराब के बाद नोनवेज़ खाने का एक अलग ही मज़ा होता है. (Office sex story)
दोनों मिल कर खाने पर टूट पड़े क्यूंकि हम दोनों को पता था कि पेट की आग मिटाने के बाद हमें बदन में लगी आग भी बुझानी है.
खाना खत्म करते ही मैंने फातिमा को फिर से जकड़ लिया.
उसकी नाइटी एक ही झटके में उसके बदन से अलग करते हुए मैंने फातिमा को फिर से नंगी कर दिया.
अब सलीम के घर की इज्जत मेरे सामने बस एक छोटी सी चड्डी में आधी नंगी खड़ी थी.
मैं भी उस भरे हुए बदन की शै को नौंचने के लिए उस पर टूट पड़ा.
फातिमा को अब शराब ने पूरा टल्ली बना दिया था, उसकी प्यासी चूत उससे अब लौड़े की मांग कर रही थी और मेरे सामने उसका नंगा रूप देख कर मैं भी खुद पर काबू नहीं कर सका. (Office sex story)
सामने वाली बर्थ पर धकेलते हुए मैंने उसको लिटा दिया, उसके पैरों में बैठ कर मैंने एक ही झटके में उसकी कच्छी फाड़ कर निकाल दी और उसने खुद अपने पैर फैलाते हुए मुझे अपनी नूरानी चुत के दीदार दिए.
शायद उसने आज ही अपनी चूत को चमकाया था, उस चिकनी चूत पर बालों का नामोनिशान नहीं था.
मैंने भी उस खुले हुए हुस्न के दरवाज़े को अपने मुँह में भर कर चूसना चालू कर दिया.
‘आअह हह रब्बआ …’ की सीत्कार लगाते हुए फातिमा ने अपने हाथ से मेरा सर अपनी चूत पर दबाना चालू कर दिया.
और मैंने भी उसकी इच्छा को समझते हुए पूरी ताकत से उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी. (Office sex story)
वहशी दरिंदे की तरह मैं फातिमा की कमसिन चुत को चाट कर फांकों को मुँह में भर कर खींचते हुए चूसने लगा.
फातिमा के मुँह से सिसकारियां लगातार बढ़ने लगीं.
उसकी आवाज़ रोकने के लिए मैंने उसकी ही कच्छी उसके मुँह में ठूंस दी और फिर से उसकी चुत का रस पीने लगा.
फातिमा ने अब तक खुद ही अपने पैर मेरे कंधे पर रख दिए थे.
मेरी लपलपाती जीभ उसकी चूत का सारा नमकीन पानी खींचकर बाहर निकाल रही थी.
इधर मैं अपने दोनों हाथों से उसके छाती के ऊपर फूले मम्मे बेरहमी से मसल रहा था.
वैसे भी इस समाज की औरतें ज़्यादातर घर में और बुरके में रहने के कारण ज्यादा ग़ोरी-चिट्टी होती है.
फातिमा का जिस्म भी वैसा ही गोरा था, चूचियों के ऊपर लगे दो किशमिश के जैसे गुलाबी चूचुक मेरे हाथ की उंगलियों से मसले जा रहे थे. (Office sex story)
उन चुचुकों का बढ़ता आकर ये साबित कर रहा था कि फातिमा अपनी वासना के चरम की तरफ बढ़ रही है.
उसकी चूत से लगातार निकलता पानी मेरे मुँह में समा रहा था.
खुद अपनी कच्छी मुँह में दबाते हुए और पानी गांड ऊपर उठाते हुए आंखें बंद करके वो मेरे जीभ की कलाबाजी का मन माफिक आनन्द ले रही थी.
चूत का छेद भी अपने आप खुल रहा था, भीतर के गुलाबी रंग का इलाका मैं अपनी आंखों से साफ़ देख पा रहा था.
मैंने उसकी चूत को और गर्माने के लिए अपने बाएं हाथ की दो उंगलियां उसमें धीरे से सरका दीं. (Office sex story)
‘इस्स्स्स आह दीपू उउ जीई …’ कहते हुए फातिमा ने मेरे बाल जोर से अपनी मुट्ठी में पकड़ कर भींच दिए.
दर्द तो मुझे भी हुआ, पर उस चुत के रस की चाहत में मैं अपना दर्द भूल गया.
जीभ से उसकी चूत का दाना चाटते हुए मैंने फातिमा की चूत मेरे उंगलियों से चोदनी चालू कर दी.
चूत के अन्दर की दीवारें उंगलियों के घर्षण से बेहाल होने लगीं और फातिमा की गांड अब पूरी ऊपर उठ कर मेरे मुँह में टक्कर देने लगी थी.
उसकी लगभग पूरी चूत मेरे मुँह में घुस गयी थी.
मैंने भी जोर जोर से अपनी उंगलियां चलाते हुए उसकी चूत का दाना दांतों से हल्का सा चुभलाना चालू कर दिया और कुछ ही देर में मेरी मेहनत रंग ले आयी. (Office sex story)
‘आह दीपू ऊऊ मैं गईइ …’ कामुक आवाज लगाती हुई फातिमा की चुत का रस मेरे चेहरे पर बहने लगा.
चुतरस से भीगा हुआ चेहरा मैंने उसकी जांघों से छुड़वाया और सीधा उसको चूमने लगा.
मेरे मुँह से खुद अपने चुतरस का स्वाद लेने वाली फातिमा अब और खूंखार लग रही थी.
उसकी आंखें वासना और हवस ने लाल कर दी थीं.
फर्स्ट क्लास के AC वाले कूपे में भी उसका बदन पसीने से भीग चुका था.
खुद मुझे बर्थ पर धकेल कर अब फातिमा मेरे ऊपर आ गई; उसने मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया. (Office sex story)
नंगी जवान औरत की चूत का रसपान करते हुए मेरे लौड़े की भी आग जाग चुकी थी पर अभी उसमें उतना कड़ापन नहीं था कि मैं सीधा उसको फातिमा की चूत में घुसा सकूं.
मेरे आधे खड़े लौड़े को सहलाते हुए फातिमा में मेरे सीने पर चूमना चालू किया.
मेरे निप्पलों पर जीभ घुमाते हुए वो अब धीरे धीरे नीचे बढ़ने लगी.
अगले कुछ ही पल बाद उसने मेरे लौड़े की चमड़ी पीछे करते हुए सुपारा बाहर निकाल लिया.
काले रंग के लौड़े पर लाल सुपारा देख जैसे उसके मुँह में पानी भर गया.
एक पल का इंतजार किए बिना फातिमा ने लंड मुँह में भर लिया और चूसना चालू कर दिया.
उसकी खुरदरी जीभ से मेरे बदन में तरंगें उठने लगीं. (Office sex story)
फातिमा का सर मेरे लौड़े पर धीरे धीरे दबाते हुए मैं उस पूरा लंड मुँह में लेकर चूसने का इशारा किया.
एक हाथ से लौड़ा और दूसरे हाथ से मेरे गोटे सहलाते हुए आंखें बंद करके फातिमा मेरे लौड़े को गीला करने लगी.
मैंने भी उसकी नंगी पीठ पर अपना हाथ घुमाते हुए उस बदन को भोग लगा रहा था.
किसी दूसरे की बीवी को पूरा नंगा करके उसका बदन नौंचने में ही ज्यादा मजा आता है.
मैं भी सलीम की जवान बीवी को पूरी नंगी करके उसकी चूत का रस चाट चुका था.
मेरे मुँह से आनन्द भरी सिसकारियां निकल रही थीं और उसके काम की तारीफ करते हुए मैंने कहा- आहह साली चूस कुतिया … पूरा ले ले मुँह में छिनाल. (Office sex story)
मेरे मुँह से गालियां सुनके उसने गर्दन ऊपर की और हंसकर मेरे तरफ देखते हुए मेरा लंड किसी रंडी की तरह चूसने लगी.
मेरे गोटे तो ऐसे मसल रही थी साली … जैसे पूरा माल निचोड़ लेगी.
मैंने भी लेटे-लेटे अपनी कमर को ऊपर उठाते हुए उसका मुँह चोदना चालू कर दिया.
काफी देर तक लौड़े को अपने मुँह की लार से भिगोने के बाद फातिमा ने लंड बाहर निकाला और बोली- क्या खाते हो आप, जो इतना बड़ा बना लिया है. लगता है अगले कुछ दिन में मैं चलने लायक नहीं बचूंगी.
अपने लौड़े की तारीफ सुन कर मैं बोला- आदमी का ही है, जानवर थोड़ी हूँ? (Office sex story) अपने मियां का भी तो देखा होगा आपने?
इस पर निराशा भरे स्वर में फातिमा बोली- काश उसका भी इतना होता, आपसे आधा ही होगा. वो भी चल जाता, पर दो मिनट में पानी निकाल देता है सुअर.
मैंने ज्यादा उसके दिल को ना दुःखाते हुए उसे अपनी ओर खींचा और उसके एक चूचे को मुँह में भरके चूसने लगा.
मेरे लौड़े को जोर जोर से हिलाते हुए उसने भी अपनी चूची मेरे मुँह में दबा दी.
कुछ देर तक उसके दोनों दूध चूस चूस कर लाल करने के बाद अब मुझे सब्र नहीं था.
फातिमा को सामने वाली बर्थ पर लिटाते हुए मैंने उसकी टांगें खोल दीं और अपना लौड़ा उसके सामने ले गया.
हम दोनों sex के लिए एकदम तैयार थे. (Office sex story)
फातिमा को समझ में आ गया कि आज पहली बार किसी मर्द का लौड़ा उसकी चुत को चीरने वाला है, तो उसने खुद की अपने उंगली से अपने मुँह से थूक निकाला और मेरे सुपारे को रगड़ने लगी.
मेरे लौड़े को गीला करके उसने सुपारा अपनी चुत के दरार पर रख दिया और मुस्कुराती हुई देखने लगी.
फिर आंख मारती हुई बोली- आ जाओ राजा अन्दर … बस जरा धीरे से करना मेरी जान. आज से आपकी ही अमानत है ये … आज ही फाड़ मत देना.
मैंने भी उसके पैर अपनी कमर के इर्द-गिर्द फैलाते हुए एक हल्का धक्का देकर सुपारा चूत में घुसा दिया.
थूक से चमकता सुपारा फातिमा के चूत के लब फ़ैलाता हुआ अन्दर दाख़िल हुआ.
माथे पर शिकन देख मैं उसके ऊपर छा गया और फातिमा को फिर से चूमने लगा. (Office sex story)
मुझे मालूम था कि ऐसी तंग चूत को खोलने के लिए एक जोरदार प्रहार की जरूरत है और उसकी चीख इस प्रहार से जरूर निकलेगी.
कूपे की नर्म बर्थ पर आज फातिमा जैसे गदराये बदन की मालकिन, मेरे लौड़े के नीचे नंगी लेटी थी.
उसकी दोनों टांगों को मैंने अपने हाथों में जकड़ कर उसके होंठ अपने मुँह में दबाए और आगे पीछे की ज़्यादा ना सोचते हुए एक ही बार में लगभग आधा लंड अन्दर घुसा दिया.
फातिमा तड़प उठी, वो चीखना चाह रही थी, मगर चीख ही न सकी.
मेरे चुंगल से छूटने के लिए उसकी फड़फड़ाहट देख कर मैंने उसके दर्द की ज्यादा चिंता किए बिना आखिरी वार करते हुए पूरा लौड़ा फातिमा की तंग चूत की फांकों में पेल दिया. (Office sex story)
फातिमा की छटपटाहट से और उसकी तंग चूत से ये साबित हो रहा था कि आज पहली बार फातिमा की चूत बड़ा लंड लेकर चुदवा रही थी.
सलीम के छोटे लंड से उसकी चुत ना ज़्यादा चुदी थी और ना खुली थी.
मेरे जानवर जैसे बर्ताव से फातिमा बेहोश होने के कग़ार पर थी, आंखें बंद करके उसने अब छटपटाना बंद कर दिया था.
उसकी हालत से ऐसा लगा, जैसे उसके प्राण ही निकल गए हों.
मेरा लंड पूरा अन्दर घुस गया था और फातिमा की चूत चिर चुकी थी.
उसकी चूत को आज पहली बार किसी लंड ने इतना अन्दर से फ़ैला दिया था. वो बेचारी बेजान मूरत की तरह बर्थ पर टांगें फैलाए लेटी थी.
कुछ देर मैंने मेरा लौड़ा ऐसे ही उसकी चूत में घुसाए रखा. (Office sex story)
दोस्तो, लंड चूत का घमासान अगली बार लिखूंगा, आपको मजा आया होगा. प्लीज़ मेरी wildfantasystories office sex कहानी पर में अपने विचार मेल करना न भूलें.
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