हेलो दोस्तों मैं आभा सिंह, आज मैं एक नई सेक्स स्टोरी लेकर आ गई हूं जिसका नाम है “जीजाजी का लंड छोटा होने के कारण xxx bahan ko sahi pel नहीं पाते” यह कहानी राजीव है आगे की कहानी वह आपको खुद बताएँगे मुझे यकीन है कि आप सभी को यह पसंद आएगी।
मेरा नाम राजीव है और मैं अभी-अभी 21 साल का हुआ हूं।
ये कहानी मेरी पहली कहानी है, इसलिए कोई भी गलती हो जाए तो प्लीज मुझे माफ कर देना।
तो सबसे पहले मैं आपको अपने परिवार से मिलवाता हूं। मेरे परिवार में में, पापा, मम्मी, 1 भाई और 2 बहनें हैं।
एक बहन मुझसे छोटी है और उसका नाम रानी है। और दूसरी बहन मुझसे बड़ी है। मेरे और उससे बड़ा एक भाई है। मेरी बड़ी बहन का नाम प्रिया है।
ये कहानी प्रिया की ही है प्रिया का स्कूल 8वीं में ही छूट गया था, क्योंकि हम लोगों में लड़कियां ज्यादा पढ़ती नहीं हैं। xxx bahan ko sahi pel
और हम लोग एक गरीब परिवार से दूर रहते हैं, क्योंकि हमारे पास ज्यादा संसाधन भी नहीं हैं। हा हम भाईयो ने पढाई करी है.
तो कहानी शुरू होती है अब
मेरी बहन प्रिया हमेशा से ही एक औसत शरीर की लड़की थी। अब अमीर तो नहीं हम, शायद वजह से भी वो ऐसी थी।
उसकी उम्र 24 साल है और वह घर में कढ़ाई (फैंसी सिलाई) का काम करती थी।
सब ठीक ही था, बस थोड़ी गुरबत थी। लेकिन गुरबत में भी प्रिया का साइज़ 34″ था और बाल लम्बे थे। उसका रंग बहुत डार्क नहीं था, लेकिन कशिश थी उसमें। वो कभी भी लड़कों के सामने नहीं आती थी। xxx bahan ko sahi pel
वो शायद ये जान-बूझती थी, क्योंकि उसके चेहरे में कशिश थी। एक दिन मेरी छोटी बहन पढ़ई कर रही थी, और उसके साथ प्रिया एक शरारे पे पढ़ाई कर रही थी। फ़िर रानी के पेन में स्याही ख़तम हो गई, तो रानी खड़ी होके पेन में स्याही डाल रही थी।
तभी ना-जाने क्या हुआ, कि उसके हाथ से स्याही गिर गई और शरारे के सेंटर में आ गई।
यानि अब शरारा ख़राब हो गया था।
अब प्रिया को टेंशन हो गई, क्या करे। तो प्रिया ने हमें जगह पे अपने पास से डिजाइन की कढ़ाई कर दी। प्रिया ने ऐसा डिज़ाइन बना दिया, कि अब जो भी हमें शरारे को देखेगा, उसको तो पता ही नहीं चलेगा, क्या हुआ था। लेकिन जो सेठ था, उसने हमें कढ़ाई को देख लिया और फिर उसने पूछा-
सेठ: याहा क्या हुआ था.
तब प्रिया ने उसको बताया-
प्रिया : सेठ जी, इसपे गलती से स्याही गिर गई थी, तो मैंने उसपे अपनी तरफ से डिजाइन बना दिया, ताकि किसी को पता ना चले। ये सब गलती से हुआ था. xxx bahan ko sahi pel
सेठ दीदी के काम से बहुत प्रेरित हुआ था। क्योंकि जिसको भी लहंगा देना था और जिसने पहन-ना था, उनमें से किसी को कुछ पता ही नहीं चला था। फिर उसने प्रिया को बुलाया और उसके साथ बात करी। उसने प्रिया को नौकरी का ऑफर दिया। प्रिया के साथ पापा भी गए और गरीबी के कारण पापा ने नौकरी के लिए हा बोल दी।
अब प्रिया नौकरी पर जाने लग गई थी और सेठ ने भी प्रिया को अपने सामने ही टेबल दी थी। यानी उसके केबिन के सामने. देखते-देखते प्रिया को सेठ पसंद करने लगा। सेठ का नाम रमेश था और उसकी उम्र होगी 36 के करीब। उसका चेहरा थोड़ा सा चौड़ा और पेट थोड़ा सा बाहर निकला हुआ था।
रंग उसका सवाल और वो बालो मेरी तरफ से मांग निकालता था। सेठ के बाल कम थे मगर उसकी नियत बिल्कुल साफ थी। उसने पापा से बात की और पापा ने उसे सोचने के लिए टाइम मांगा। फिर पापा ने घर के हालात को देखे, प्रीती की शादी सेठ से कर दी। xxx bahan ko sahi pel
अब प्रिया की शादी हो गई थी और सब सेट चल रहा था। शादी करने के बाद वो दोनों दूसरे राज्य में सेठ के परिवार के साथ रहने चले गए। लेकिन फिर किसी कारण प्रिया और उसका पति वापस हमारी ही स्थिति में आ गए। रमेश भैया, जो पहले सेठ थे हमारे लिए, वो अब हमारे जीजू हो गए थे।
दूसरा राज्य मुझे तो जीजू के सब घर वाले थे, लेकिन यहां पर प्रिया अकेली होती थी।
तो प्रिया बहन कभी-कभी मुझे बुला लेती थी और मैं भी मजे से उनके पास जाता था, क्योंकि उनके घर में एसी था और सोलर था, और लाइट भी जाती थी, तो पता नहीं लगता था।
मै अक्सर कॉलेज से दीदी के पास चला जाता था दिन में। फ़िर जब जीजू आये थे, तो मै वापस आ जाता था। जीजू रात के 10 बजे तक आ जाते थे और सुबह 11 बजे चले जाते थे। तो हुआ कुछ यू, कि मै एक दिन कॉलेज से जल्दी आ गया और दीदी के घर चला गया। जीजू अभी तक सो रहे थे और करीब 11 बजे हुए थे। दीदी ने जब मुझे देखा तो अनहोनी के बारे में पूछा-
दीदी: इतनी जल्दी आ गयी आज? xxx bahan ko sahi pel
मै : हा वो आज एक टीचर नहीं आये थे और थोड़ी थकन भी हो रही थी, तो मै यहाँ आ गयी।
दीदी: अच्छा किया, लेकिन घर भी तो जा सकते थे।
मै : हां, लेकिन 1 बजे लाइट चली जाती है और मै थोड़ा सोना चाहता हूं।
दीदी: अच्छा फिर ठीक है.
फ़िर मै अंदर जाके फ्रेश हुआ और रूम में देखा, तो जीजू सो रहे थे। मुझे ऐसा लग रहा था, कि जीजू कल रात बहुत थक गए होंगे, क्योंकि उन्होंने ड्रेस भी चेंज नहीं की थी। तो मैंने दीदी से पूछा-
मै : जीजू अभी तक इतना कह रहे हो?
दीदी बोली: हां ये रात को ऑर्डर देके बहुत देर हो गई और आते ही सो गए। रात को खाना भी नहीं खाया.
मै : ठीक है. xxx bahan ko sahi pel
दीदी: तुम कुछ खाओगे?
मै : नहीं.
दीदी: ठीक है.
फिर मै लेट गया, एसी ऑन किया और रूम बंद करके सो गया। मै करीब एक घंटे बाद उठा. मै बहार निकला और यहा-वहा देखने लगा। मुझे कहीं कोई नज़र नहीं आ रहा था। फ़िर मै जब जाने लगा तो देखा, कि जीजू के जूते वही थे। मैंने बाहर देखा, तो उनकी कार भी बाहर खड़ी थी।
फ़िर मै जब उनको देखने लगा, तो मुझे कुछ आवाज़ें आने लग गईं। आवाज कुछ यू थी- आवाज: ओह आअहह ऊ रमेश हाँ.. मैंने सोचा, कि ये आवाज़ दे रही है दीदी तो नहीं निकल सकती थी। अब मैं देखना चाहता था, कि जीजू किसी और को नहीं लेके आये थे।
फिर मैंने बहुत ढूंढा, बहुत ढूंढा, लेकिन कोई भी ऐसी जगह नहीं मिली, जहां से मैं उनका कमरा देख लूं। मैं जगह तलाश कर रहा था, कि कमरे में अंदर देखने की जगह मिल जाए। और मैं पता कर सका कि अंदर से आवाज किस औरत की आ रही थी। xxx bahan ko sahi pel
लेकिन बहुत ढूंढने के बाद भी कुछ नहीं दिखा। फिर मैं बालकनी में आ गया और सोचने लगा जीजू के बारे में। मुझे लग रहा था, कि जीजू मेरी बहन को धोखा दे रहे थे औए ना-जाने किन-किन लड़कियों के साथ मजे करते थे। ये सोचते-सोचते मेरी वाहा एक सुरख पर मेरी नज़र पड़ी।
मैंने देखा, तो वो सुरख एसी की पाइप के साथ था। यानी एयर कंडीशनर लगाते वक्त जो पाइप बाहर आती है ना, उसके लिए जो होल होता है, वो सुरख। और उसी दीवार पर एसी का आउटडोर भी था एंगल के साथ। वो सुरख देख कर मेरे मन में आया, कि ज्यादातार लोगो के बेड एसी के सामने ही होते हैं।
तो जीजू ने भी बिस्तर की पोजीशन ऐसी ही रखी होगी. फिर मैंने हमें सुरख से अंदर देखा। अंदर मैंने जो देखा, मैं वो सोच भी नहीं सकता था। मेरी बहन पूरी नंगी थी. मुझे उसके सिर्फ चूचे साफ़ नज़र आ रहे थे और वो भी झूलते हुए। दीदी की चूत जीजू के सर की तरफ थी और दीदी का मुँह जीजू के लंड के पास था। जीजू दीदी से बोल रहे थे-
जीजू: ओह प्रीती, ज़ोर-ज़ोर से हिलाओ ना लंड को। xxx bahan ko sahi pel
दीदी लंड को हिला रही थी और बहुत जोर-जोर से आवाज निकाल रही थी-
दीदी: ओह्ह आअहह उईईई डालो डालो आअहह ज़ोर से डालो.
अब मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। लंड तो दीदी सहला रही थी और आवाज़ भी दीदी की निकल रही थी। जीजू का लंड 5 इंच का था और बिल्कुल मेरे सामने था। फ़िर जीजू ने अपना लंड पर चढ़ाने के लिए कंडोम पकड़ा। लेकिन जीजू का लंड तो खड़ा ही नहीं हो रहा था। उधर दीदी की आवाज़ ही नहीं रुक रही थी।
दीदी: आह्ह.. आह्ह.. ओह.. प्लीज अन्दर रखो प्लीज आह्ह.. आह्ह…
करीब 5 मिनट तक ये चलता रहा और फिर दीदी अकेली पड़ गई और ज़ोर से आहेन भरने लग गई। फ़िर दोनों ने पोजीशन चेंज की। मैंने देखा, जीजू दीदी की चूत में वाइब्रेटर डाले हुए थे और दीदी अब झड़ने वाली थी। दीदी ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ निकाल रही थी।
जीजू का लंड अभी भी खड़ा नहीं हो रहा था। फ़िर अन दोनों ने पोजीशन चेंज की। पोजीशन कुछ यू थी, कि जीजू सीधे लेते थे और दीदी घुटनो के बाल उनकी टैंगो पर बैठ कर उनका लंड हिला रही थी। फिर करीब 5 मिनट दीदी के हिलाने पर जीजू का लंड खड़ा हुआ और खड़ा होता ही जीजू के लंड ने पानी छोड़ दिया। ये देख कर मै तो हेयरां रह गया।
जीजू: प्रिया तुम हमेशा पहले दूर हो जाती हो. आज मैं तुम्हारी गांड में लंड डालता हूँ।
प्रिया इसके लिए मन कर देती है और बोलती है xxx bahan ko sahi pel
प्रिया : नहीं आपने एक बार पहले भी कोशिश की थी और मुझे 7 दिन तक दर्द हो रहा था। अब इस खिलोने को रखो अपने पास।
जीजू बोले: खिलोना नहीं है ये. ये तो तुम्हें सुकून देने वाला औज़ार है। और जो भी चीज़ तुम्हें सुकून देती है, वो तुम्हारी जिंदगी का हिसा बन जाती है।
फिर वो दोनों अपने कपड़े पहन-पहने लगते हैं। मैं भाग कर अपने कमरे में आ जाता हूँ और सोने का नाटक करता हूँ। कमरे में आके मैं सोचता हूं, कि वो आदमी दीदी के काबिल नहीं था और दीदी तो बस उसके साथ रह कर समझौता कर रही थी। फिर कुछ दिन ऐसे ही रहते हैं। जीजू कभी लेट आते थे, तो कभी टाइम पार।
लेकिन मै वहा रोज़ जाता था और जल्दी जाता था। फिर एक दिन मै दीदी के घर देर जाता हूं और वहां जाकर देखता हूं, कि उनके घर का दरवाजा बंद नहीं था। मुझे लगा, कि दीदी दरवाजा लॉक करना भूल गई होगी। फिर जब मैं अंदर जाता हूं, तो फिर वही आवाज आने लगती है। आवाज़ सुन कर मुझे लगता है, कि जीजू तो घर पर नहीं थे, तो आवाज़ कैसी आ रही थी।
फिर मै भाग कर उसी सुरख के पास गया और अंदर देखने लगा। सुरख में से जो मैंने देखा, वो मै देखता ही रह गया। दीदी उसी वाइब्रेटर को अपनी चूत में डाल कर ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर कर रही थी। दीदी पूरी नंगी पड़ी हुई थी और उसका साइज भी पहले से काफी बड़ा हो चुका था। अब दीदी के चूचे का साइज 36″ है, कमर का 30″ और चूत का 38″ है।
दीदी: आह्ह.. आह्ह.. ओह… आह्ह..
दीदी की चूत बिल्कुल लाल हो गई थी. वाइब्रेटर करीब 5 इंच का था, जिसमें से 5 इंच दीदी की चूत के अंदर था। दीदी की चूत में से पुचक-पुचक की आवाज आ रही थी और दीदी पूरे जोश में थी। मैंने भी दीदी को देख कर पागल हो रहा था और मेरा लंड खड़ा हो चुका था। xxx bahan ko sahi pel
कमरे में एसी फुल था, लेकिन दीदी का पसीना उनके चूचे से बहता हुआ साफ दिख रहा था। अब दीदी ने पोजीशन चेंज की और डॉगी स्टाइल में आ गई। दीदी की गांड का छेद छोटा सा था और साफ़ दिख रहा था। मेरी नज़र दीदी की गांड पर थी और तभी दीदी ज़ोर से आह्ह.. आह्ह.. करके चिल्लाई।
दीदी ने अपना सारा पानी बिस्तर की चादर पर निकाल दिया और वो वाइब्रेटर को चूत में लिए हुए वैसे ही बिस्तर पर उल्टी लेती रही।
मै समझ गया था, कि दीदी झड़ चुकी थी। मै भी झड़ चुका था. दीदी अब बिस्तर पर उल्टी लेटी हुई थी और उनकी रंगत और बढ़ गई थी। उनका शरीर पसीने से भरा हुआ था और चमक रहा था।
दीदी की पतली कमर और उसके नीचे गोल-गोल छूतड़ कमाल के लग रहे थे। अभी तक दीदी ने चूत में से वाइब्रेटर नहीं निकाला था और अपनी गांड अभी भी थोड़ी ऊपर ही रखी हुई थी। फिर तकरीबन 10 मिनट बाद दीदी उठी और वाइब्रेटर चूत से निकल कर साफ किया।
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दीदी ने वो वाइब्रेटर अलमारी में रख दिया और मैं वहां से भाग कर बाहर आ गया। मैंने दरवाजे पर ताला लगा दिया और अपना घर चला गया। घर जाके मै दीदी के बारे में सोचने लगा। फिर मुझे दीदी की कॉल आई और उसने पूछा-
दीदी: काहा हो. xxx bahan ko sahi pel
मैने कहा: मै घर पर हूं।
दीदी: आज आये नहीं यहाँ.
मै : हां वो कुछ काम था.
फिर ऐसा ही कुछ दिन चलता रहा। मैं स्टडी कर रहा था और दीदी की चूत वाइब्रेटर और जीजू के मुरझाए हुए लंड के बीच में फंसी हुई थी। एक दिन मुझे किसी काम से पापा के साथ कहीं बाहर जाना पड़ा। मैंने दीदी को एक दिन पहले ही बता दिया था, तो दीदी ने मुझसे कहा-
दीदी: ऐसा करना, छोटी को यहाँ मेरे पास भेज देना।
मैंने कहा: अगर उसको आपके पास भेज दिया, तो यहां मम्मी को कौन देखेगा।
मेरी मम्मी बीमार रहती है, तो उनका ध्यान रखने के लिए किसी को उनका साथ रहना पड़ता है। फिर मैंने दीदी से कहा-
मै : बड़े भाई को भेज दो? xxx bahan ko sahi pel
दीदी ने मना कर दिया, क्योंकि उन दोनो की बनती नहीं थी। फिर दीदी ने जीजू को बताया, कि मै और पापा जा रहे थे और जीजू भी देर से आये थे, रानी को घर लाने की बात पूछी। जीजू ने दीदी को मना कर दिया. दीदी ने जीजू को कहा, वो उनको कहीं लेके नहीं जाते, तो जीजू ने कहा-
जीजू: मैं कुछ सोचता हूँ.
फिर मुझे दीदी की कॉल आई और दीदी बोली-
दीदी: तुम्हारे जीजू गाड़ी भेज रहे हैं. तुम लोग हमसे बैठ कर चले जाना।
मैंने पूछा: ड्राइवर को पता पता है? xxx bahan ko sahi pel
दीदी: ये मुझे नहीं पता.
उतने में ड्राइवर आ गया गाड़ी लेके और मै और पापा हमसे बैठ कर चले गए।
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