हेलो दोस्तों मैं आभा सिंह, आज मैं एक नई सेक्स स्टोरी लेकर आ गई हूं जिसका नाम है “आंटी की चूत में दियाअपना तगड़ा लंड-Aunty ki Chut Chudai”। यह कहानी तुषार की है आगे की कहानी वह आपको खुद बताएँगे मुझे यकीन है कि आप सभी को यह पसंद आएगी।
वाइल्ड फैंटसी स्टोरीज़ डॉट कॉम की मेरी कहानी में, मैं एक रिश्तेदार के घर किराए पर रहने लगा। आंटी अक्सर मुझसे लड़की पटाने के लिए कहती थी। लेकिन मुझे आंटियाँ पसंद हैं। मैं उन आंटियों को चोदना चाहता था।
Aunty ki Chut Chudai Main Apka Swagat Hai
मेरा नाम तुषार है, मैं कुछ दिन पहले ही पढ़ाई के लिए मुंबई शिफ्ट हुआ हूँ। यह सेक्स स्टोरी उसी से जुड़ी है।
जब मैं मुंबई में कमरा ढूँढ रहा था, तो मैं कॉलेज के पास कमरा लेना चाहता था।
पापा ने हमारे रिश्तेदार एक अंकल से बात की।
तब मुझे पता चला कि उनके घर में एक कमरा है।
उन्होंने मुझे अपने घर पर रहने के लिए कहा।
अंकल के घर में लवली आंटी और उनका छोटा बेटा उनके साथ रहते थे।
मैंने जल्दी ही अंकल की इच्छा के अनुसार उनके घर जाना स्वीकार कर लिया क्योंकि आंटी के साथ सेक्स करने के बारे में सोचना मेरे लिए एक कल्पना थी।
मैं अक्सर शादियों में इन सेक्सी आंटियों को देखता था और शादी से बाहर आने तक मैं उन्हें देखता रहता था।
उनमें से कई ने मुझसे आँखें मिलाईं और कुछ ने मुझे इशारे भी किए।
पर मैं बात करने में थोड़ा शर्मीला था इसलिए मैं कभी किसी से बात नहीं कर पाता था।
चाचा के घर पर रहने का मतलब था आंटी को रोज़ देखना।
और किस्मत ने साथ दिया तो आंटी की सवारी करने का मौका भी मिल सकता था।
मैं जल्दी से चाचा के घर आ गया और सबसे पहले आंटी को देखा।
और मेरी अंदर की वासना की कहानी शुरू हो गई।
आह क्या बदन था उनका… सांवला रंग, 34 के बूब्स और साड़ी में से उनकी कमर थोड़ी सी दिख रही थी, बस इतना ही मजेदार था।
उनकी दूध जैसी सफ़ेद कमर ही मर्दों का लंड खड़ा कर सकती थी।
जब मैंने नीचे देखा तो मुझे गांड के पहाड़ दिखे।
उनको देखकर आप उनकी तुलना किसी भी गोल चीज से कर सकते हैं।
मैं आंटी के घर में रहने लगा।
जब मैं आंटी के घर शिफ्ट हुआ तो मैं उनसे रोज़ कॉलेज के बारे में बात करता था। वो अक्सर मुझसे मेरे नए दोस्तों के बारे में पूछती थीं और कहती थीं- यही उम्र है, किसी लड़की को पटाना है… उसे बाहर घुमाना है!
मैं मुस्कुरा देता था और चुप हो जाता था।
आंटी मुझसे बहुत दोस्ताना हो गई थीं।
एक दिन उसे अपने मोबाइल पर अपना सोशल मीडिया अकाउंट खोलना था, तो वो मेरे कमरे में आ गई।
उस समय मैं सेक्स स्टोरीज पढ़ रहा था, तो मेरा लिंग खड़ा था और मेरे लोअर से साफ दिख रहा था।
उसे देखकर मैंने अपने लिंग को तकिये से ढकने की कोशिश की।
तो वो बोली- रहने दो, तुम तो ऐसे कर रहे हो जैसे मैंने पहले कभी किसी का नहीं देखा!
उसके मुँह से ये सुनते ही मेरा मुँह खुला का खुला रह गया।
वो मेरे पास आकर बैठ गई और बोली- तुषार, मुझे फेसबुक चलाना है, प्लीज इस सोशल मीडिया पर मेरा नया अकाउंट खोल दो!
मैंने उससे पूछा- तुम इससे क्या करना चाहती हो?
तो उसने कहा- मुझे नए दोस्त बनाने हैं, घर पर बोर हो जाती हूँ, तो दिन भर लोगों से थोड़ी बात करूँगी! मैंने कहा- वहाँ अच्छे लोग नहीं हैं आंटी!
इस पर वो हँसी और बोली- तो फिर मैं क्या काम का!
मैं समझ गया कि आंटी भी चुदासी हो रही है, तो मैंने उसके लिए नया अकाउंट बना दिया।
उसने मुझे अपना पहला दोस्त बनाया और चली गई।
अब वो अक्सर मुझे कॉमेडी वीडियो भेजा करती थी।
चाचा कपड़ों का व्यापार करते थे और अक्सर व्यापार के लिए अलग-अलग जगहों पर जाते थे।
मौसी को जो खाली समय मिलता था उसमें वो बोर हो जाती थी।
मैं अक्सर रात को मौसी के साथ बैठकर टीवी देखा करता था ताकि मैं उन्हें जी भरकर देख सकूँ।
वो अक्सर कहती थी – कॉलेज में कोई लड़की ढूँढो, वो तुम्हारा भला करेगी। घूरने से मुझे कुछ नहीं मिलेगा।
मैं उनकी तरफ़ देखता और मुस्कुराता और चुपचाप सिर झुकाकर बैठ जाता।
एक बार जब चाचा काम से बाहर गए हुए थे, तो मौसी ने कहा – तुषार, मेरा कहीं घूमने का मन कर रहा है, क्या हम कहीं चलें?
मैंने तुरंत हाँ कर दी और मौसी को एपीजे चिड़ियाघर ले गया।
मौसी ने चिड़ियाघर जाने के लिए बहुत प्यारी नीली पारदर्शी साड़ी पहनी थी जिसमें उनका पेट साफ़ दिखाई दे रहा था।
वो बहुत सेक्सी लग रही थी।
जैसे ही हम चिड़ियाघर पहुँचे, हमने देखा कि वहाँ बहुत सारे जोड़े थे, जिन्हें देखकर लवली मौसी ने कहा – तुषार, तुम यहाँ कोई लड़की कब लाओगे?
मैंने उसकी तरफ देखा और कहा- मैं तुम्हें यहाँ लाया हूँ, है न!
आंटी ने चेहरे पर सवालिया भाव लाते हुए कहा- क्या मैं लड़की हूँ?
यह कहते हुए वो आगे बढ़ गई।
एक-दो घंटे बाद चिड़ियाघर देखने के बाद हम दोनों एक जगह बैठ गए।
फिर मैंने हिम्मत जुटाई और कहा- मैं पहली बार किसी लड़की के साथ अकेला आया हूँ। तुम्हें इस तरह देखकर मुझे लग रहा है कि बहुत अच्छा हुआ कि मैं तुम्हारे साथ आया हूँ।
मैंने अभी इतना ही कहा था कि पीछे से किसी के सेक्स करने की आवाज़ आने लगी- ‘आह आह धीरे से करो ना… दर्द होता है आह आह… बूब्स मत दबाओ यार, दर्द होता है आह ना जानू!’
आंटी उस आवाज़ को सुनते ही कहने लगी- देखो लोग यहाँ क्या कर रहे हैं?
उसने यह कहा और एक तरह से मुझे उस आवाज़ की दिशा में न देखने को कहा।
हम दोनों ने एक साथ पीछे देखा।
पीछे एक बीस साल का लड़का आंटी को चोद रहा था।
मैं उसे देखकर रुक गया और आंटी से पूछा- क्या मैं भी ऐसा करना चाहता हूँ?
आंटी मुझ पर चिल्लाई और बोली- अपनी उम्र की लड़की ढूँढ़ो, मैं इस सब के लिए नहीं हूँ।
वह गुस्से से उठी और कार पार्किंग में चली गई।
किसी तरह मैंने उसे मनाया और घर ले आया।
आंटी पूरे रास्ते बिना बात किए घर आ गई।
आंटी ने जैसे ही दरवाजा खोला, वो बोली- देखो, तुम अच्छे लड़के हो, पर ये सब ठीक नहीं है। ऐसा दोबारा मत कहना! ये कह कर आंटी किचन की तरफ चली गई। मैं अक्सर सोचता था कि आंटी
मेरे साथ सेक्स करना चाहती है और जब वो पूछती थी कि क्या मैंने चिड़ियाघर में किसी और को सेक्स करते देखा है, तो मुझे लगता था कि वो भी मुझसे अपनी चूत चुदवाना चाहती है। ये सब सोचते हुए मैं उनके पास आ गया और जैसे ही मुझे लगा कि मैं आंटी के करीब हूँ, मैंने उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनकी पीठ पर किस करने लगा।
मेरे अचानक हमले से लवली आंटी हिल नहीं पाई और कहने लगी- तुषार छोड़ो इसे… क्या कर रहे हो! पर मैं उन्हें किस करता रहा और उनकी साड़ी का नीला ब्लाउज धीरे धीरे नीचे खींचने लगा। किस करते करते मैंने अपना हाथ आंटी के पेट पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।
मैं उनकी गर्दन को भी हल्के हल्के चूसने लगा और अब उन्होंने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया था और किचन की बार को कस कर पकड़ कर खड़ी थी। मैं अपना हाथ उनके पेट से उनके बूब्सों पर ले गया और ब्लाउज के ऊपर से ही उन्हें जोर जोर से दबाने लगा। मैंने उसकी गर्दन को चूमते हुए उसके गालों को चूमा और उन्हें चूसने लगा।
इस बीच लवली आंटी पर मेरी पकड़ कमजोर पड़ गई और वो नीचे गिर गई।
उसे उठाने की बजाय मैंने किचन में लेटाकर ही उसे चूमना शुरू कर दिया।
वो अब भी मुझे दूर धकेलने की कोशिश कर रही थी।
लेकिन जैसे ही मैंने अपना हाथ उसकी साड़ी के अंदर डाला और उसकी चूत को छुआ… उसने मुझे कस कर पकड़ लिया।
उसकी चूत को सहलाते हुए मैंने उसके कान में कहा- आज मैं इसे चाटूँगा और चोदूँगा भी… चाहे तुम हाँ कहो या ना। तुम भी तो दिल से यही चाहती हो ना!
ये कहते हुए मैंने उसे चूमना जारी रखा।
मैंने एक हाथ से उसके बूब्सों को मसलना शुरू किया और दूसरे को उसकी चूत पर टिकाए रखा।
मैंने उसके बूब्स चूसने के लिए उसका ब्लाउज खोलने की कोशिश की, लेकिन ब्लाउज का बटन अटका हुआ था।
मैंने आंटी से पूछा- फाड़ दूँ? उसने कहा- हाँ फाड़ दे… फाड़ दे आज!
मैंने जोश में आकर उसका ब्लाउज और ब्रा दोनों फाड़ दिए और उसके बूब्सों को जोर-जोर से चूसने लगा।
उसके बूब्स चूसने के साथ-साथ मैंने अपने एक हाथ से उसकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया।
जैसे ही मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, आंटी कराहने लगी- उफ़… आह… आउच… क्या कर रहे हो, कोई आ जाएगा… तुषार ऐसा मत करो!
जब मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में और जोर से हिलाना शुरू किया, तो आंटी गाली देने लगी- उफ़… मादरचोद, थोड़ा धीरे कर, आह हहह… आउच… तेरी उंगली जल रही है… रुक जा तुषार रुक जा!
लेकिन मैं उसी तेजी से अपना मुँह उसकी चूत पर ले गया और चाटने लगा।
उसकी कराहें और तेज़ हो गईं और उसने मेरा मुँह पकड़ लिया और उसे अपनी चूत की ओर दबाने लगी।
अपनी उत्तेजना में, मैंने और जोर से चाटना शुरू कर दिया।
लवली आंटी अब अकड़ने लगी थीं और बेकाबू होकर जोर-जोर से चिल्लाने लगी थीं।
यह देखकर, मैंने उनकी आवाज़ को नियंत्रित करने के लिए उन्हें चूमना शुरू कर दिया और उनकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर बाद, वह चरमसुख पर पहुँच गई और अपनी आवाज़ कम करने लगी।
मैंने उसे उठाया और किचन काउंटर पर बैठा दिया और फिर से उसकी चूत चाटने लगा.
अब उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
तो वो धीमी आवाज़ में कहने लगी- आह्ह हह… तुषार, धीरे से करो… मेरी चूत खा जाओगे क्या? अगर ऐसा करोगे तो मेरी छोटी सी चूत सूज जाएगी और फिर तुम्हारे चाचा को पता चल जाएगा. मैं यहाँ तुम्हारी आंटी और रखैल बन कर रहूँगी… तुम मुझे कल चोद सकते हो, अभी मुझे छोड़ दो. मुझे अभी खाना बनाना है. तुमने चाट चाट कर मेरी चूत गरम कर दी है… अगर अब चोदोगे तो मैं उठ नहीं पाऊँगी. प्लीज़ आज रुक जाओ!
ये कहते हुए आंटी मुझे रोकने लगी.
पर मैं आज किसी भी कीमत पर आंटी को एक बार चोदना चाहता था.
अपनी अंदर की हवस के वशीभूत होकर मैंने बिना देर किए अपना लंड निकाला और आंटी की चूत के पास रख दिया.
आंटी समझ गई कि आज मेरा लंड और मैं, दोनों ही संतुष्ट होने तक नहीं रुकेंगे.
तो वो मेरे सिर को सहलाते हुए मुझे चूमने लगी.
मैंने उनके एक बूब्स को अपने मुँह में भर लिया और अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया।
कुछ पलों तक लंड के सुपाड़े की गर्मी अपनी चूत पर महसूस करने के बाद, आंटी ने अपनी गांड को किचन काउंटर से थोड़ा आगे बढ़ाया और मेरा लंड उनकी चूत में घुस गया।
‘आह आह तुषार, तुम्हारा लंड बहुत गरम है… पूरा अन्दर डालो आह आह।’
मैंने आंटी की कमर पर हाथ लपेटा और उन्हें अपनी तरफ खींचा।
मेरा लंड आंटी की चूत में घुस गया और आंटी ने अपनी दोनों टाँगें मेरे चारों तरफ लपेट लीं।
मैं उन्हें अपने लंड के साथ ही उनकी चूत में कमरे में ले आया।
उधर मैंने आंटी को बेड के किनारे पर लिटा दिया और उनकी चूत को फाड़ने लगा. आंटी मस्त आवाजों के साथ अपनी चूत मेरे लंड से चुदवा रही थी और बोल रही थी- आह आह तुषार… आज तुमने वो कर दिया जो मैं चाहती थी…
अगर तुम पहल न करते तो मैं तुम्हें कभी न पाती. मैं- आंटी, आज नहीं तो कल मैं तुम्हें जरूर चोदता… आज तुमने मेरी सील तोड़ दी है! ‘क्या… तुम सच कह रही हो कि तुमने आज पहली बार सेक्स किया है?’ ‘हाँ आंटी!’ ‘आंटी मत बोलो, लवली बोलो मेरे राजा…
आज से मैं तुम्हारी रंडी हूँ!’ ऐसी बातों के बीच मैंने आंटी को बीस मिनट तक चोदा और उनकी चूत में ही झड़ गया. अब स्थिति ऐसी हो गई थी कि आंटी को हर रोज मेरे लंड से चुदे बिना चैन नहीं मिलता था. सेक्सी आंटी की चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी?
इसके बारे में मैं अगली कहानी में विस्तार से बताऊंगा. आप मुझे बताइये कि आपको मेरी वाइल्ड फैंटसी स्टोरीज़ डॉट कॉम कहानी कितनी पसंद आयी.
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