हेलो दोस्तों मैं आभा सिंह, आज मैं एक नई सेक्स स्टोरी लेकर आ गई हूं जिसका नाम है “पड़ोसी दोस्त की मां को चोदा-Dost ki maa ki chudai”। यह कहानी पारस की है आगे की कहानी वह आपको खुद बताएँगे मुझे यकीन है कि आप सभी को यह पसंद आएगी।
मैंने अपने दोस्त की सेक्सी मैडम के साथ वाइल्ड फैंटसी स्टोरी का मजा लिया! मुझे वो पसंद थी, इसलिए अक्सर उसके घर के बॉस उसके साथ सेक्सी मूवीज बनाते थे।
पड़ोसी दोस्त की मां को चोदा-Dost ki maa ki chudai apko kaise lagi
दोस्तों, मेरा नाम पारस है और मैं हरियाणा से हूँ। “Dost ki maa ki chudai”
मैं अब 28 साल का हूँ।
आज मैं आपको अपनी सच्ची सेक्स कहानी बताना चाहता हूँ।
ये वाइल्ड फैंटसी स्टोरी डॉट कॉम उस समय की है जब मैं टीनेजर था।
मेरा एक दोस्त है, उसका नाम हिमांशु है।
वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। मैं उसके घर बार-बार जाता था।
हम दोनों उसके घर पर ज़्यादातर समय कॉम्पिटिशन करते रहते थे।
उसकी माँ का नाम रिया था।
वो बहुत सेक्सी महिला थी।
दरअसल हिमांशु के पिता का देहांत हो चुका था, इसलिए उसकी माँ बहुत आराम से रह रही थी।
वो कहते हैं कि जब भी जवानी शुरू होती है, तो मर्दों का आकर्षण बढ़ने लगता है, मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ।
मैं अपने दोस्त की माँ रिया से बहुत प्यार करने लगा था।
ये प्यार एकतरफा था।
उस समय तक मुझे सेक्स के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं थी.
अब मैं आपको रिया के बारे में बताता हूँ.
रिया की उम्र 39 साल थी, वो भरे बदन वाली खूबसूरत महिला थी.
उसके बूब्स का आकार 38 इंच, कमर 34 इंच और गांड का आकार लगभग 40 इंच था.
उसका रंग हल्का गेहुँआ था.
मुझे पता ही नहीं चला कि वो कब अपने घर चली गई. मुझे रिया बहुत अच्छी लगने लगी थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.
अब मैं हर बात के बारे में सोचता रहता था कि कैसे उसके पास जाऊँ और कैसे उसके शरीर को छूऊँ.
एक दिन हम दोनों घर पर लैपटॉप पर खेल रहे थे.
तभी मुझे प्यास लगी तो मैं अस्पताल के कमरे में चला गया.
वहाँ कोई नहीं था.
मैंने इधर-उधर देखा, वहाँ कोई नहीं दिखा.
जब मैं कमरे से वापस आया तो मैंने किसी दोस्त की सहेली से आवाज़ लगाई.
शायद रियानी नहा रही हो.
अन्य नग्न महिलाओं को देखने की आशा से मैं दरवाजे की तरफ बढ़ा और गेट के छेद से देखने लगा।
नौकर का दरवाजा लकड़ी का बना था, जिसमें से गुजरने के लिए कई छेद थे।
जैसे ही मैंने छेद वाला उपकरण देखा, मैं चौंक गया।
मैंने देखा कि मेरी प्यारी रिया अटारी में नहा रही थी। वह पूरी तरह से तैयार थी।
उसके अयाल मेरी तरफ थे, जो बहुत बड़े और सुडौल थे।
जब भी अटारी की सहेलियों पर पानी डाला जा रहा था और अटारी से पानी उनके पेट पर बह रहा था, तो मुझे सहेलियों का भूत सवार हो जा रहा था।
बहते पानी के कारण सुंदरी बहुत सुंदर लग रही थी।
यह मेरी आँखों के सामने एक बहुत ही सुंदर दृश्य था।
एक तरफ मैंने पहले कभी नग्न महिला नहीं देखी थी और दूसरी तरफ वह महिला नग्न नहीं थी, जो मुझे बहुत पसंद आया।
मैं सब कुछ भूलकर केवल रिया को ही देख रहा था।
उसके बाद मैंने लिटिल अंडर सॉ को देखा, अल्ताफ के सुडौल बच्चे मेरी आँखों के सामने आ गए।
वो बिल्कुल बच्ची जैसी दिख रही थी।
अचानक मेरी मैरी कैटरीना कैफ ने अपनी आँखें खोली और उसकी छोटी लेकिन सूजी हुई चूत देखी।
चूत के ऊपर बहुत सारे खूबसूरत भूरे बाल थे।
वो इतनी खूबसूरत लग रही थी कि मेरा मन कर रहा था कि अभी लवर में घुस जाऊँ और अटाला की चूत खा जाऊँ।
उसने पानी का मग लिया और अपनी चूत को थोड़ा खोलकर उसका सहारा लेने लगी।
जैसे ही रिया कैटरीना ने अपनी चूत खोली, उसकी जगह का लाल हिस्सा मेरे सामने आ गया, एकदम लाल और छोटा सा दिखने लगा।”Dost ki maa ki chudai”
मैं बहुत हैरान हूँ।
मेरा मन वाइल्ड फैंटसी स्टोरी करने लगा।
ये सब मेरे लिए ज़िंदगी में बिल्कुल नया था।
मैं बहुत डर गई थी।
डर ये था कि कोई मुझे देख न ले, इसलिए मैं वहाँ से भाग गई।
इसके बाद घर पर बैठकर मैं बस यही सोच रही थी कि मैंने कोई सपना देखा है या नहीं।
मेरा लंड खड़ा हो गया था और अब मेरे दिमाग में बार-बार यही आ रहा था कि मुझे किसी तरह रियाा एयरटेल को चोदना है।
इसके लिए मुझे कुछ भी करना है, बस उसे पाना है।
उस दिन के बाद मैं हिमांशु के घर पर देर रात तक टीवी देखता रहा।
एक दिन, मेरा दोस्त हिमांशु और उसकी माँ रिया टीवी देखते-देखते सो गए।
मेरा ध्यान मेरी प्यारी रिया आंटी की तरफ गया।
उस समय गर्मी थी, इसलिए वो कमीज़ और सलवार पहने सो रही थी।
उनकी कमीज़ थोड़ी ऊपर उठी हुई थी, इसलिए मेरी प्यारी रिया आंटी का गोरा पेट दिख रहा था।
मैं कुर्सी से उठा और आंटी की चारपाई के पास आ गया।
मैंने ध्यान से आंटी के पेट को छुआ।
उनका पेट मुझे बहुत मुलायम लगा।
मैंने धीरे-धीरे आंटी के पेट को चूमना शुरू किया और अपनी जीभ से चाटना शुरू किया।
रिया आंटी के शरीर से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी।
मुझे नशा होने लगा।
मेरा लंड खड़ा हो गया था और आंटी की चूत में जाने के लिए तैयार था।
उसके बाद मैं आंटी के चेहरे के पास गया।
मैंने उसके चेहरे और होंठों को चाटना शुरू कर दिया।
यह अद्भुत था।
मैंने उसके माथे को चूमा और उसके बालों को सूंघने लगा।
बालों की महक ने मेरे होश उड़ा दिए।
मैंने अपनी पैंट से अपना लंड निकाला और उसके बालों पर रगड़ने लगा।
उसके बाद मैंने अपना लंड आंटी के होंठों पर रखा और उसे धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा।
मैं सातवें आसमान पर था।
मेरा लंड फटने वाला था।
उस समय तक मुझे पता नहीं था कि आंटी को मेरी सारी हरकतें पता चल रही होंगी।
मैं बस उसे चूम रहा था और सहला रहा था, अपने नशे से बेखबर।
अब मैंने रिया आंटी के बूब्स को भी सहलाना शुरू कर दिया था और धीरे-धीरे उनके बूब्स को दबा रहा था।
कुछ देर बाद मैं झड़ने वाला था। मैंने अपना लंड आंटी के होंठों से हटा लिया।”Dost ki maa ki chudai”
मेरा वीर्य बहुत तेजी से और बड़ी मात्रा में निकला।
इसका कुछ हिस्सा आंटी के बालों और होंठों पर गिरा।
मैंने आंटी के होंठों को चाटा और साफ़ किया और उसके बाद मैं टीवी देखते हुए कुछ देर तक आंटी को देखता रहा.
फिर मैं अपने घर वापस आ गया.
घर आकर मैंने अपनी प्यारी रिया आंटी के बारे में सोचते हुए एक बार फिर से हस्तमैथुन किया और सो गया.
उसके बाद मेरे सपने और बढ़ने लगे.
पहले मैं सोचता था कि आंटी को कैसे छूऊँ, अब जब मैं उन्हें छूता हूँ तो बार-बार उन्हें छूने, चाटने की इच्छा होने लगती है.
अब वो भी हो चुका था, असल में मैंने आंटी पर हस्तमैथुन भी कर लिया था.
इसके बाद बस एक ही काम बचा था, उन्हें चोदना.
मैं सोचने लगा कि अब आंटी को कैसे चोदूँ.
एक दिन मैंने हिम्मत जुटाई और आंटी को फ़ोन किया.
मैंने उनसे कसम खाकर कहा- आंटी, मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ, किसी को बताओगी तो नहीं?
तो उन्होंने कहा- हाँ, बताओ, मैं किसी को नहीं बताऊँगी.
फिर मैंने उनसे कहा- आंटी, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो.
ये सुनते ही वो गुस्सा हो गईं और मुझे डाँटने लगीं.
मैंने फिर कहा- आंटी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।
लेकिन इस बार उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
मैंने उनसे पूछा- क्या हिमांशु अभी आपके घर पर है?
उन्होंने मुझसे कहा- नहीं, घर पर कोई नहीं है।
मैंने उनसे कहा- मेरे घर चलो। तो उन्होंने कहा- ठीक है, घर चलो। मैं तुम्हें समझा दूँगी कि ये सब ठीक नहीं है।
मैं भागकर आंटी के घर गया।
वो घर पर अकेली थीं और बिस्तर पर लेटी हुई थीं।
मैं बिस्तर पर बैठ गया।
आंटी मुझे देखकर मुस्कुराईं लेकिन उन्होंने मुझसे कुछ नहीं कहा।
जब मैंने अपना हाथ उनके हाथ पर रखा तो मेरी प्यारी रिया आंटी उठने की कोशिश करने लगीं।
मैंने आंटी का हाथ कसकर पकड़ा और उन्हें अपनी ओर खींचा।
लेकिन वो अपना संतुलन खो बैठीं और बिस्तर पर गिर गईं।
मैं भी उनके ऊपर गिर गया।
आंटी के ऊपर लेटे हुए मुझे ऐसा लगा जैसे मैं किसी मुलायम गद्दे पर लेटा हूँ।
उस समय आंटी ने भी मुझसे छूटने की हल्की कोशिश की।
पर उसकी कोशिश ऐसी थी मानो वो भी मेरी बात से सहमत हो।
अब मैं आंटी के ऊपर गिर गया और उनके होंठों को चूमने लगा।
उसने अपना चेहरा मुझसे दूर किया और बोली- मरवाओगे क्या… जल्दी हटो… कोई आ जाएगा! मैंने तुम्हें बात करने के लिए बुलाया था और आते ही तुम मुझसे चिपक गई।
मैंने आंटी से कहा- तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो। मैं तुम्हें दिल से प्यार करता हूँ।
इस पर वो थोड़ा मुस्कुराई और बोली- तुम्हें मुझमें क्या अच्छा लगा?
मैंने कहा- तुम मुझे पूरी तरह से अच्छी लगती हो।
उसने फिर जोर देकर पूछा- कुछ खास बताओ, तुम्हें क्या अच्छा लगता है!
मैंने कहा आंटी, मुझे तुम्हारे बूब्स और गांड बहुत अच्छे लगते हैं।
ये कहते हुए मैंने आंटी के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा।
उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
थोड़ी देर बाद वो भी सहयोग करने लगी तो मैं समझ गया कि रास्ता साफ है।
अब मैंने आंटी का कुर्ता ऊपर उठाया और उनके गोल बूब्स को सहलाने लगा।
आंटी के बूब्स सफ़ेद ब्रा में कसे हुए थे. मैंने दोनों बूब्स को पकड़ा और दबाने लगा. आंटी कामुकता से कराहने लगी. मैंने उनकी ब्रा उठाई और उनके नंगे बूब्स को पकड़ लिया. उनके बूब्स बहुत मुलायम थे. मैं उनके एक निप्पल को चूसने लगा और साथ ही दूसरे बूब्स को दबाने लगा. वो पूरी तरह से नशे में थी.
मैंने धीरे से आंटी की सलवार का नाड़ा खोला और उसे नीचे खींच दिया. आंटी ने पैंटी नहीं पहनी हुई थी. मेरा सपना मेरे सामने खुल रहा था. आंटी की छोटी सी सूजी हुई चूत थी, जिस पर हल्के बाल जैसे बाल थे, आंटी के जघन बाल भूरे रंग के थे. मैंने तुरंत अपना मुँह उनकी चूत पर रख दिया और उसे चाटने लगा. चूत की महक मुझे पागल कर रही थी.”Dost ki maa ki chudai”
मैंने आंटी की क्लिट को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
आंटी अब तक आँखें बंद करके कराह रही थीं।
उन्होंने तुरंत आँखें खोलीं और बोली- छीः क्या कर रहे हो… ये गंदा है। हम इसे चाटते नहीं!
मैंने कहा- आंटी, बस थोड़ी देर सब्र करो… फिर कुछ कहना।
मैंने उनकी चूत चाटना जारी रखा।
थोड़ी देर बाद आंटी ने अपनी टाँगें फैला दीं और बोली- आह, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है… क्या तुम मुझे मार कर छोड़ दोगे… मैं बेहोश हो जाऊँगी, मुझे ज़िंदगी में इतना मज़ा कभी नहीं आया। तुमने ये सब कहाँ से सीखा… मैं तुमसे पहले क्यों नहीं मिली। मैं अपनी सारी जवानी तुम्हारे लिए कुर्बान कर देती… आह, आज से तुम मेरे पति और हिमांशु के पिता हो… आज से तुम जो भी उससे कहोगे, वो वही करेगा। बस मुझे ऐसे ही खुश करते रहो।
थोड़ी देर में आंटी मस्ती में चिल्लाने लगीं और ज़ोर-ज़ोर से आवाज़ें निकालने लगीं।
मैं एकदम से घूम गया और 69 की पोजीशन में आ गया और अपना लंड आंटी के मुँह के पास कर दिया.
मैंने उनसे मेरा लंड चूसने को कहा लेकिन आंटी ने ऐसा नहीं किया.
मैं आंटी की चूत को जोर-जोर से चूसता रहा और अपने दांतों से हल्का-हल्का काट भी रहा था.
आंटी जोर से चिल्लाई.
जैसे ही उन्होंने अपना मुँह खोला… मैंने अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया और पूरा अन्दर धकेल दिया.
आंटी चाहकर भी लंड को मुँह से बाहर नहीं निकाल पा रही थीं.
थोड़ी देर बाद आंटी अपनी चूत चुसवाते-चुसवाते उत्तेजित हो गईं और खुद ही लंड चूसने लगीं.
आंटी ने अपना रस छोड़ दिया जिसे मैंने चाट कर साफ कर दिया.
लेकिन आंटी मेरा लंड चूसती रहीं.
थोड़ी देर में मैं भी उनके मुँह में ही स्खलित हो गया.
मैंने अपनी पूरी ताकत लगाई और अपना लंड आंटी के मुँह में ही फंसाए रखा.
जिसकी वजह से वो मेरा लंड मुँह से बाहर नहीं निकाल पा रही थीं और उन्हें मेरा वीर्य पीना पड़ा.
जब मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो आंटी मुझ पर बहुत गुस्सा हुईं.
वो बोली- क्या तुम मुझे नहीं बता सकते थे?
मैंने तुरंत उसे पकड़ लिया और उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
मैंने आंटी के बूब्स को दबाना और सहलाना शुरू कर दिया।
इससे वो थोड़ी शांत हुई। अब मैंने आंटी की टाँगें फैलाईं और अपना लंड अंदर डाला।
वो कराहते हुए अपनी चूत चुदवाने लगी।
दोस्तों, मैंने अपनी प्यारी आंटी को बहुत देर तक और कई पोजीशन में चोदा।
पड़ोसी दोस्त की मां को चोदा-Dost ki maa ki chudai apko kaise lagi
मैं इसके बारे में अगली सेक्स स्टोरी में विस्तार से बताऊंगा।”Dost ki maa ki chudai”
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