मेरा नाम गौतम है मुझे नई नई लड़कियाँ और भाभियाँ चोदने का शौक है।
ऐसा ही मौका मुझे तब मिला जब हम किराये के मकान में रहते थे।
हम पहले फ्लोर पर रहते थे और मकान मालिक नीचे।
हमारे मकान मालिक के दो बेटे थे और दोनों शादीशुदा थे।
उनके छोटे बेटे की पत्नि कविता काफी आकर्षक और मस्त माल थी। कविता को मैं भाभी बुलाता था और जब कभी भी मेरे सामने आती तो मुस्कुरा देती थी।
मैंने पहले तो इसे कभी सीरियस में नहीं लिया।
धीरे धीरे मुझे कविता भाभी कि मुस्कान अच्छी लगने लगी और मैं भी उनकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा।
कविता के बारे में आपको बता दूँ कि उसका रंग एकदम गोरा और स्तन 36 के होंगे।
नयन और नक्श बहुत नशीले,लम्बे काले बाल, लाल होंठ जैसे गुलाब कि पंखुडियाँ हों.
और पूरा का पूरा बदन जैसे किसी संगेमरमर की मूर्ति हो, ऐसा है।
कविता को जो देखता है, देखता ही रह जाता है।
मुझे गिटार बजाने का शौक भी है और एक दिन मैं घर पर अकेला था तो ऐसे ही गिटार बजाने लगा।
कविता भाभी ऊपर कपड़े सुखाने आयी तो वहीं खड़ी मुझे देखने लगी।
भाभी बोली- आपको गिटार बजाने का भी शौक है.
तो मैंने जवाब दिया- कभी कभी बजा लेता हूँ।
भाभी बोली- मुझे भी सिखाओगे?
मैंने कहा- जी आइये।
भाभी को मैंने गिटार दिया और बजाने की कोशिश करने को कहा।
तो भाभी बोली- मुझे तो गिटार पकड़ना भी नहीं आता, आप ही सिखा दो।
मैंने भाभी को गिटार पकड़वाया और उनकी पीठ के पीछे से हाथ लगा कर बजाने को बोला।
भाभी बोली- देवर जी, मेरा हाथ पकड़ कर बताइये तभी पता चलेगा।
मैं उनका हाथ पकड़ कर गिटार बजाना सिखाने लगा।
भाभी के हाथ बहुत मुलायम थे जैसे कोई रुई हो।
मैं कविता भाभी के हाथ धीरे धीरे से सहलाने लगा तो उनकी आंखें बंद होने लगीं और मैं उनके चेहरे के पास अपना चेहरा लाने लगा।
उनके गुलाबी होंठों के पास अपने होंठ लाते हुए मैंने उनको किस करना शुरू कर दिया तो भाभी भी मेरा साथ देने लगीं और मुझे किस करने लगीं।
और आगे बढ़ने से पहले ही भाभी की सास ने उनको आवाज़ लगाई.
तो भाभी एकदम से चौंक गयी और मुझसे हाथ छुड़ाती हुई नीचे चली गयी … लेकिन जाते जाते हल्की स्माइल दे गयी।
अब एक बात तो साफ़ थी कि भाभी की स्माइल ऐसे ही नहीं थी, वो मुझसे चुदना चाहती थी लेकिन मौके का इंतज़ार था।
हम दोनों को मौके का इंतज़ार था और फिर वो दिन आया जब हमें मौका मिल ही गया।
सावन का महीना था और मेरी पत्नि मायके गयी हुई थी।
मैं ऊपर छत पर बैठा मौसम का मजा ले रहा था।
हमारे मकान मालिक को भी अचानक कोई फोन आया और जाना पड़ा।
अब कविता भाभी भी घर पे अकेली थी लेकिन मुझे इसका पता नहीं था।
मैं शॉर्ट्स में बैठा हल्की बारिश का मजा ले रहा था और मन ही मन कविता भाभी के नाम की मुठ मार रहा था।
कविता भाभी ऊपर से कपड़े लेने आयी ताकि बारिश से भीग ना जायें।
भाभी मेरे पीछे खड़ी थी लेकिन मैं उसे देख नहीं पाया।
तब भाभी ने मुझे एकदम से बुलाया तो मैं घबरा गया।
भाभी बोली- क्या कर रहे हो देवर जी?
तो मैंने भी बोल दिया- आपको याद कर रहा था और क्या काम है मुझे?
भाभी हंसने लगीं और मेरे शॉर्ट्स में बने लंड के तम्बू को गौर से देखने लगीं।
इतने में बारिश एकदम तेज ही गयी और भाभी जल्दी से कपड़े उतारने लगी.
इसी जल्दबाजी में भाभी का पैर फिसल गया और वो गिर जाती अगर मैं उनको हाथ का सहारा ना देता।
कविता मेरी बाँहों में गिरती गिरती बची और उसी तरह मेरी आँखों में देखने लगीं।
इधर बारिश तेज हो गयी थी और हम दोनों भीग गए थे।
भाभी गीले कपड़ों में और भी सुन्दर लग रही थी।
मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कविता की पीठ सहलानी शुरू कर दी और उनकी आंखें बंद हों गयी।
मैं समझ गया कि कविता आज सब कुछ करना चाहती है।
मैंने उनको वहीं छत पर कपड़ों पर लिटा दिया और उनके गुलाबी पंखुड़ियों जैसे होंठों का रसपान करने लगा।
ऐसा लग रहा था जैसे मैं शहद को चख रहा हूँ।
बारिश से भीगी कविता बहुत ही हॉट और सेक्सी लग रही थी। बारिश की बूंदे उस पर गिरकर उसे और मादक बना रही थी।
भाभी ने साड़ी पहनी थी जो बिलकुल भीग गयी थी।
मैंने देर ना करते हुए साड़ी को उतार फेंका और भाभी को ब्रा पैंटी में कर दिया.
तब मैं भाभी का जिस्म चूमने चाटने लगा।
भाभी आँखें बंद किये मेरे चुम्बन का मजे ले रही थी.
हर जगह उनको किस करते हुए मैंने उनकी ब्रा को उतार फेंका और 36 के दोनों दूध को बेतहाशा चूमने लगा।
भाभी अब काबू के बाहर होने लगीं और तड़फने लगी।
मैं कविता के दूधों को बारी बारी से पीने लगा और उसको और तड़फाने लगा।
भाभी बारिश में भी पूरी गर्म हो चुकी थी और आआ आह ह्ह्ह हहा आआ उम्म की आवाजें निकाल के मुझे और उकसा रही थी।
कविता ने मेरा लण्ड पकड़ लिया और मेरे शॉर्ट्स में से बाहर निकाल कर उसे सहलाने लगी।
मैंने भी देर ना करते हुए कविता कि पैंटी उतार कर उसको पूरी नंगी कर दिया।
कविता मेरा लंड पकड़ कर सहला रही थी तो मैं उसकी चूत को सहलाने लगा।
अब हम दोनों नंगे एक दूसरे को चूम चाट रहे थे और बारिश का मजा ले रहे थे।
मैंने कविता को 69 में आने को कहा तो वो झट से मेरा लंड चूसने लगीं और मैं उसकी चूत चाटने लगा।
कविता बड़े प्यार से मेरा 7 इंच लम्बा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत को जीभ से चोद रहा था।
लगभग 5 मिनट की चुसाई में ही कविता ने अपना पानी छोड़ दिया और मैं इसका सारा नमकीन पानी पी गया।
बहुत स्वाद था कविता की चूत का पानी।
अब मैं हॉट भाभी कविता के ऊपर आ गया और उसको पैर खोलने को कहा।
भाभी ने अपने पैर खोले और मैंने अपना सख्त लंड उसकी चूत पर रख दिया।
धीरे धीरे रगड़ लगाते हुए मैंने कविता के होंठ चूसने चालू रखे।
जब कविता भी नीचे से चूत उठाने लगी तो मैंने जोर के झटके के साथ पूरा लंड अंदर डाल दिया।
कविता की चीख निकल गयी लेकिन मैंने उसके होठों को अपने होठों की गिरफ्त में ले लिया और जोरदार चुदाई करने लगा।
अब कविता की आँखों से आंसू निकलने लगे और मैंने उसे जोर जोर से चोदना शुरू कर दिया।
मैं कविता को चोदते हुए उसके होंठ और दूध को किस करके उसको और कामुक बना रहा था।
बारिश में कविता मेरे लंड से चुद रही थी और मैं उसको फुल स्पीड से चुदाई का मजा दे रहा था।
पूरे 20 मिनट की ताबड़तोड़ के बाद मेरा झड़ने वाला था तो मैंने अपने लंड बाहर निकाला और भाभी के मुंह में डाल दिया।
मैंने कविता के मुंह में सारा माल छोड़ दिया और वो पूरा माल मजे से पी गयी।
कविता ने मेरा लंड चूस चूस के साफ़ कर दिया और एक बार फिर खड़ा कर दिया।
इस तरह उस तेज बारिश में मैंने कविता को तीन बार चोदा और उसे अपने लंड की दीवानी बना दिया।
लेकिन हमें दुबारा कभी चुदाई का मौका नहीं मिला।
आज भी जब कभी मुझे कविता की याद आती है तो उसके नाम की मुठ मार लेता हूँ।
काश फिर कभी कविता की चुदाई का मौका मिले!